Madhu varma

Add To collaction

लेखनी कविता - बस्ता - बालस्वरूप राही

बस्ता / बालस्वरूप राही


मुझ से भारी मेरा बस्ता,
कर दी मेरी हालत खस्ता।
इसे उठा कर बढ़ना मुश्किल।
सभी पुस्तकें पढ़ना मुश्किल।
कोई टीचर को समझाए,
इसको कुछ हल्का करवाए।

   0
0 Comments